सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे

तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाए रखा जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा दीन जिनको, जिन्हे ईमान बनाए रखा तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे जिनका हर लफ़्ज़ मुझे याद था पानी की तरह याद थे जो मुझको जो पैगामे ज़बानी की तरह मुझको प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे सालहा साल मेरे नाम बराबर लिखे कभी दिन में तो कभी रात को उठकर लिखे तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे तेरे खत मैं आज गंगा में बहा आया हूं आग बहते हुए पानी में लगा आया हूं Nazm by urdu poet Rajendra Nath Rahbar. Rendered Immortal by Ghazal Singer Shri Jagjit Singh

Conversation Between Krishna and Duryodhana

आपकी नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे

अनपढ़ (1962) फिल्म का यह गीत अत्यंत मर्मस्पर्शी है. इसका संगीत  मदन मोहन जी ने दिया और इसके बोल  राजा मेहंदी अली खान ने दिए.  लता मंगेशकर जी ने इस गीत में आत्मा फूंकी.  इस गीत के बारे में नौशाद ने कहा था कि उनकी सभी रचनायें इस गीत पर कुर्बान हैं. आज इसके एक मुखड़े पर चर्चा करूंगा:  "पड़ गई दिल पर मेरे, आपकी परछाईयाँ हर तरफ बजने लगीं, सैकड़ों शहनाईयां" इतने प्यारे बोल हैं. ध्यान से देखें कि नायिका " परछाईयाँ" शब्द का प्रयोग कर रही है. आम तौर से एक व्यक्ति की एक ही परछाई होती है. मगर यहाँ  आकंठ प्रेम में डूबी हुई नायिका कहती है, कि उसके  प्रेमी के व्यक्तित्व के कई आयाम हैं. इन विभिन्न आयामों ने नायिका के मन पर बड़ा गहरा असर डाला है, उसे जीत लिया है, उसे मोह लिया है. अब नायिका समर्पण के भाव में है. अब दूसरी पंक्ति पर गौर करें. शहनाई विवाह के अवसर पर बजाई जाती है. नायिका का तात्पर्य है, कि अपने प्रेमी के इस प्रभाव से उसके मन में आजीवन बंधन में बंधने की अपार इच्छा होने लगी  (सैंकड़ों    शहनाईयां बज रही हैं) . श्रृंगार एवं समर्पण का अद्भुत भाव है. 

आवत ही हरषै नहीं...(गोस्वामी तुलसीदास)

आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह । तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह ।। अर्थ: जिस जगह आपके जाने से लोग प्रसन्न नहीं होते हों, जहाँ लोगों की आँखों में आपके लिए प्रेम या स्नेह ना हो, वहाँ हमें कभी नहीं जाना चाहिए, चाहे वहाँ धन की बारिश ही क्यों न हो रही हो ।