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आपकी नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे

अनपढ़ (1962) फिल्म का यह गीत अत्यंत मर्मस्पर्शी है. इसका संगीत  मदन मोहन जी ने दिया और इसके बोल  राजा मेहंदी अली खान ने दिए.  लता मंगेशकर जी ने इस गीत में आत्मा फूंकी.  इस गीत के बारे में नौशाद ने कहा था कि उनकी सभी रचनायें इस गीत पर कुर्बान हैं. आज इसके एक मुखड़े पर चर्चा करूंगा:  "पड़ गई दिल पर मेरे, आपकी परछाईयाँ हर तरफ बजने लगीं, सैकड़ों शहनाईयां" इतने प्यारे बोल हैं. ध्यान से देखें कि नायिका " परछाईयाँ" शब्द का प्रयोग कर रही है. आम तौर से एक व्यक्ति की एक ही परछाई होती है. मगर यहाँ  आकंठ प्रेम में डूबी हुई नायिका कहती है, कि उसके  प्रेमी के व्यक्तित्व के कई आयाम हैं. इन विभिन्न आयामों ने नायिका के मन पर बड़ा गहरा असर डाला है, उसे जीत लिया है, उसे मोह लिया है. अब नायिका समर्पण के भाव में है. अब दूसरी पंक्ति पर गौर करें. शहनाई विवाह के अवसर पर बजाई जाती है. नायिका का तात्पर्य है, कि अपने प्रेमी के इस प्रभाव से उसके मन में आजीवन बंधन में बंधने की अपार इच्छा होने लगी  (सैंकड़ों    शहनाईयां बज रही हैं) . श्रृंगार एवं समर्पण का अद्भुत भाव है.