तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाए रखा
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा
दीन जिनको, जिन्हे ईमान बनाए रखा
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
जिनका हर लफ़्ज़ मुझे याद था पानी की तरह
याद थे जो मुझको जो पैगामे ज़बानी की तरह
मुझको प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
सालहा साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में तो कभी रात को उठकर लिखे
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
तेरे खत मैं आज गंगा में बहा आया हूं
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूं
Nazm by urdu poet Rajendra Nath Rahbar. Rendered Immortal by Ghazal Singer Shri Jagjit Singh
यू tube : https://www.youtube.com/watch?v=hBvdIsBmQ6g फरीदा खानम साहिबा का यह गीत बड़ा सम्मोहक है. श्रृंगार रस से ओतप्रोत यह गीत, बड़ा “suggestive” है. शब्दों के बीच में फरीदा जी एक ऐसा भाव व्यक्त कर दे रही हैं जो किसी को भी आकर्षित कर ले. इस गीत की खूबसूरती यही है कि कुछ प्रत्यक्ष नहीं कहा जा रहा है. बस एक संकेत दिया जा रहा है; यह संकेत बड़ा feminine है, बड़ा प्रलोभी है, और जानबूझ कर दिया जा रहा है! कोई भूल न करे; यह मासूम प्रेम का गीत नहीं है और न ही विरह का गीत है !! बहुत ही खूब गाया है!!
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