कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता कोई काँटा चुभा नहीं होता दिल अगर फूल सा नहीं होता मैं भी शायद बुरा नहीं होता वो अगर बेवफ़ा नहीं होता जी बहुत चाहता है सच बोलें क्या करें हौसला नहीं होता रात का इंतज़ार कौन करे आज-कल दिन में क्या नहीं होता गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है मुद्दतों सामना नहीं होता
इस ब्लॉग में मैं चुनिन्दा कवितायेँ पोस्ट करूंगा. इनमे से हर कविता ने कहीं न कहीं मेरे मन को छुआ होगा