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मुश्किल है अपना मेल प्रिये (सुनील जोगी)

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

तुम एम. ए. फ़र्स्ट डिवीजन हो, मैं हुआ मैट्रिक फ़ेल प्रिये ।
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

तुम फौजी अफ़्सर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ ।
तुम रबडी खीर मलाई हो, मैं सत्तू सपरेटा हूँ ।
तुम ए. सी. घर में रहती हो, मैं पेड के नीचे लेटा हूँ ।
तुम नयी मारूती लगती हो, मैं स्कूटर लम्बरेटा हूँ ।
इस कदर अगर हम छुप-छुप कर, आपस मे प्रेम बढायेंगे ।
तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जायेंगे ।
सब हड्डी पसली तोड मुझे, भिजवा देंगे वो जेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

तुम अरब देश की घोडी हो, मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये ।
तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखों की हडताल प्रिये ।
तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो, मैं एल्मुनिअम का थाल प्रिये ।
तुम चिकेन-सूप बिरयानी हो, मैं कंकड वाली दाल प्रिये ।
तुम हिरन-चौकडी भरती हो, मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये ।
तुम चन्दन-वन की लकडी हो, मैं हूँ बबूल की चाल प्रिये ।
मैं पके आम सा लटका हूँ, मत मार मुझे गुलेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

मैं शनि-देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कन्चन काया हो ।
मैं तन से मन से कांशी राम, तुम महा चन्चला माया हो ।
तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ ।
तुम राज घाट का शान्ति मार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दन्गा हूँ ।
तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफ़ा अजन्ता की ।
तुम हो वरदान विधाता का, मैं गलती हूँ भगवन्ता की ।
तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम-ठेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

तुम नयी विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ ।
तुम ए. के.-४७ जैसी, मैं तो इक देसी कट्टा हूँ ।
तुम चतुर राबडी देवी सी, मैं भोला-भाला लालू हूँ ।
तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिडियाघर का भालू हूँ ।
तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं वी. पी. सिंह सा खाली हूँ ।
तुम हँसी माधुरी दीक्षित की, मैं पुलिसमैन की गाली हूँ ।
कल जेल अगर हो जाये तो, दिलवा देन तुम बेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

मैं ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पाँच सितारा होटल हो ।
मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम रेड-लेबल की बोतल हो ।
तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कॄषि-दर्शन की झाडी हूँ ।
तुम विश्व-सुन्दरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाडी हूँ ।
तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला हूँ चोंगा ।
तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हूँ घोंघा ।
दस मन्ज़िल से गिर जाऊँगा, मत आगे मुझे ढकेल प्रिये ।
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

तुम सत्ता की महरानी हो, मैं विपक्ष की लाचारी हूँ ।
तुम हो ममता-जयललिता सी, मैं कुंवारा अटल-बिहारी हूँ ।
तुम तेन्दुलकर का शतक प्रिये, मैं फ़ॉलो-ऑन की पारी हूँ ।
तुम गेट्ज़, मटीज़, कोरोला हो, मैं लेलैन्ड की लॉरी हूँ ।
मुझको रेफ़री ही रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिये ।
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

मैं सोच रहा कि रहे हैं कब से, श्रोता मुझको झेल प्रिये ।
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।

(सुनील जोगी)

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