गुरुवार, 10 नवंबर 2011

ऐ मेरे प्यारे वतन -- (प्रेम धवन कृत)

ऐ मेरे प्यारे वतन ऐ मेरे बिछड़े चमन तुझ पे दिल कुर्बान।
तू ही मेरी आरजू तू ही मेरी आबरू तू ही मेरी जान ॥धृ॥
तेरे दामन से जो आये उन हवा-ओंको सलाम
चूम् लूँ मैं उस ज़ुबाँ को जिसपे आये तेरा नाम
सबसे प्यारी सुबह तेरी सबसे रंगीं तेरी शाम
तुझपे दिल् कुर्बान ॥१॥
माँ का दिल बनके कभी सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्ही सी बेटी बन के याद आता है तू
जितना याद आता है मुझको उतना तड़पाता है तू
तुझ पे दिल कुर्बान॥२॥
छोड़ कर तेरी ज़मींको दूर आ पहुंचे हैं हम
फिर भी है येही तमन्ना तेरे जर्रों की कसम
हम जहां पैदा हुये उस जगह ही निकले दम
तुझ पे दिल कुर्बान ॥३॥
- प्रेम धवन

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